गुरुवार, 26 मार्च 2015
तुम मेरी जिन्दगी बन गई हो
सांस बन गई हो।।
1 मिलते सुबह-षाम जो
तुम हो नहीं आम वो,
तुम मेरी खास बन गई हो----।।
2 तुम धड़कन हो मेरे दिल की,
होठों की हंसी, रौनक हो तन की,
तुम चैन सुकुन हो मेरे मन की,
मेरे आज और कल की तुम खुषी उल्लास बन गई हो --- ।।
3 तड़पता रहता हूं मैं तुझ बिन ऐसे,
तड़पती हो मछली जल बिन जैसे,
कैसे सहूं मैं ये तन्हाई मेरे गले का फांस बन गई
हो----।।
4 मैं भी प्राण तेरे,
तुम हो जिगर जान मेरे,
मेरा दिल है पास तेरे,
मेरे दिल के दीये का तुम प्रकाष बन गई हो----।।
5 तुमसे इतनी मुहब्बत करते हैं हम,
सागर की गहराई आसमां की उंचाई पड़ जाए कम,
सनम तुम हरदम मेरे दिल के पास बन गई
हो-----।।
--- प्रेम
कल रात सपने में मेरे खुद खुदा आया था, एक तरफ बुलाकर उसने मुझको ये समझाया था।
1 लेकर बस नाम तुम्हारा कहा कि उसे अपना बना लो,
उठानी पडे़ कोई मुसीबत तो भी उठा लो,
गले से लगा लो, उसको बनाया है सिर्फ तुम्हारे लिए
राज उसने ये बताया था..........।
2 हम हैं तुम्हारी जिंदगी तुम हो प्राण हमारे,
हारा है जमाना सदा प्रेमी कभी नहीं हारे,
आजा थाम लें आपस में हाथ, बने एक- दूजे के सहारे,
हमको उसने दो जिस्म एक जान बताया था ..........।
3 षक्ल-सूरत तो उस प्रभु की मैं ना बता पाऊंगा,
हर षब्द पड़ जाता है छोटा, महिमा उसकी ना गा पाऊंगा,
अच्छा फिर आऊंगा वादा मिलने का मुझ से करके रूप उसने
अपना छिपाया था.......... ।
4 समझाना तुम उस प्यारे कोए ले प्यार से काम ए
प्यार ही है रूप मेरा प्यार ही मेरा नामए
प्यार का पैगाम वो खुद तुम्हारे नाम था ..........।
......प्रेम
रविवार, 15 मार्च 2015
तुम्हे फूल कहूं या चांद
1 मैं तुम्हे फूल कहूं या चांद का टुकड़ा,
ये काली जुल्फे, सुनहरा बदन,
क्या गजब का मुखड़ा।।
गिरा करके इन काली जुल्फों को हसीन बदन पर
तुम यूं ना हम पर बिजली गिराया करो,
गुजर जाती हो दूर से ही घायल करके, तुम यूं ना दूर
से जाया करो, कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
कभी तो पास आया करो,
दिल चुराकर नजरें चुराना ठीक नहीं,
नजर तो हमसे मिलाया करो।
देखा है जब से तुम को
दिल का चैन रहता है उखड़ा उखड़ा।।
2 देखा है जबसे तुम को
तुझमें इतना खो गए हैं हम,
न जाने कब दिन निकलता है कब होती है रात
तुझमें इतना मशगूल हो गए हैं हम,
देखते ही तुमको घायल हो गए थे हम,
तुझ बिन अब चैन कहां
तेरी चाहत के कायल हो गए हैं हम।
तुम्हारी ये मदमस्त जवानी
मानो कल - कल करती हुई
कोई नदी बह रही हो, कूद जा बेधड़क मुसाफिर मुझमें
नजरों ये मानो ये कह रही हो। पाकर तुझको मुझको मिलेगा अपार सुखड़ा।।
3 उतरे नहीं जिंदगीभर जिसका नशा सनम तुम वो शराब हो,
सच हो सके कठिनाई से तुम वो सुनहरा ख्वाब हो।
तुम्हारी गोरी बहिया, नरम कलाई और लचकती हुई ये पतली
कमर,
तुम्हारी ये झील सी नीली आंखे और ये जवां उमर,
ये छोड़ते नहीं कोई कसर।
तुम्हारा ये कातिल हुस्न तो हर किसी के होश उड़ा दे,
तुम्हारी खूबसूरती तो तिनके में भी जोश ला दे,
देखकर तुम्हारी चंचल शोख अदाओं को चांद भी शर्मा दे।
धूप में यूं ना निकला करो,
गिरा करके पर्दा चला करो
कहीं कोई नजर ना लगा दे देखकर ये हसीन मुखड़ा।।
प्रेम
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