शुक्रवार, 22 मई 2015

                 इश्क 

       इश्क की कोई जात नहीं
      जमात नहीं
1.   इश्क की कोई शक्ल नहीं सूरत नहीं, उम्र की भी बात नहीं
      इश्क  जनाना नहीं,  इश्क मर्दाना नहीं
      इश्क की जुबां  नहीं मज़हब  नहीं,
      इश्क  गोरा नहीं,  इश्क़  काला नहीं
      इश्क  बूढ़ा  नहीं, इश्क बाला  नहीं
      इश्क मौका नहीं, इश्क धोखा नहीं वासना वाली बात नहीं
      गर्मी नहीं सर्दी नहीं, दिन नहीं  रात नहीं  
      रोक दे इश्क को कोई ऐसी सरहद नहीं, हवालात नहीं। …  इश्क की 
      कोई जात नहीं, जमात नहीं।

2.  इश्क गरीब नहीं, इश्क अमीर नहीं
     इश्क राजा नहीं इश्क वज़ीर  नहीं 
     इश्क  कटता , इश्क फटता  नहीं , इश्क मरता नहीं,  इश्क डरता नहीं 
     ताज  जाये  चाहे  राज जाये , कल जाये चाहे फिर आज जाये
     इश्क कभी मिटता नहीं
     पर्वतों पर चलना हो, आग में  जलना हो,  चाहे जहर निगलना हो
     इश्क कभी पीछे  हटता  नहीं
     खाई  हो, समुदर हो , इधर हो चाहे उधर हो  इश्क कभी डटता  नहीं
     रोक दे इश्क को हवा तो क्या तूफां  में भी वो औकात नहीं। …  इश्क          की कोई जात नहीं, जमात नहीं।
   
3.  इश्क  आसमां  से ऊचां  है इश्क सागर से गहरा है
     इश्क बेखुद है इश्क अंधा है इश्क बहरा है
     कहने को तो इश्क सभी करते है लेकिन मैदान ए इश्क में इश्क मे कोई        कोई ठहरा है
     इश्क लैला है इश्क मजनू है, इश्क रांझा है इश्क हीर है
     इश्क साधु है , इश्क संत है , इश्क फ़कीर है
     इश्क दादू है, इश्क  मीरा  है, इश्क कबीर है
     हो जाये इश्क बस खुदा से इससे बड़ी कोई सौगत नहीं।   …  इश्क की 
     कोई जात नहीं, जमात नहीं। …

                                                  ------ प्रेम