शनिवार, 30 अप्रैल 2022

मेरी महबूबा आएगी

 धीरे धीरे चल हवा, ठंडी होकर,
 के मेरी महबूबा आएगी
दिलरुबा आएगी।  
1.      बादलों तुम भी छा जाओ,
फूलो तुम भी खिल खिलाओ,
 बिखेरो खुशबू, हवा को महकाओ
सूरज तुम भी छुप जाओ,
गर्मी वो सह ना पाएगी,
गर्मी से जान उसकी निकल ही जाएगी,
गर्मी में पिघल जाएगा उसका कोमल बदन,
घटाओ तुम भी साथ दो, करो कुछ यत्न,
जब  जब घटा छाएगी तो.. मेरी दिलरुबा आएगी।
 के मेरी महबूबा आएगी
दिलरुबा आएगी।  
2.      क्या जिक्र करू मैं उसका, वो लाजवाब है,
कृति खुदा की वो बड़ी नायाब है
 बेनजीर है उसका हुस्न, कातिल सवाब है,
मृग से नयन उसके, गाल ज्यों कोई गुलाब है,
होठ जैसे कोई खिलती कली हो,
सूरत उसकी ज्यों कोई मूर्त ढली हो,
दूध से दांत उसके,
नरम कलाई वाले कोमल हाथ उसके,
उसकी अदा सबसे जुदा
उसको बनाकर खुश हुआ था खुदा
चांद  तुम भी देखना नीले गगन से
तुमसे भी हसीं है कोई चमन में
राख हो जाना तुम जलन से
हया तुम पर भी छा जाएगी।
 के मेरी महबूबा आएगी
 दिलरुबा आएगी।  
3.       मेरे दोस्त पंछियो तुम भी चहचाह देना
जब वो आए तो उसके मन की  थाह लेना
कोयल तुम हूंकना आम की डाली पर
चिड़िया तुम टूट पड़ना अन्न की बाली पर,
तोता और मैना तुम होना शहतूत के दरखत पर
सारसो तुम भी जाना उस वक्त पर
गिलहरी पेड़ से उतर आना   
हाथों में लेकर फली कोई चबाना,  
कुतो तुम भी जरा दुम हिलाना
पीपल के नीचे मोर तुम नाचना उसको नचाना
तितलियां तुम दौड़ी चली आना
झीलो झरनो नदियो कोई गान गाओ ,
धुन कोई ऐसी लगाओ
जो मन उसका लुभाएगी  के मेरी महबूबा आएगी।  के मेरी महबूबा आएगी
 दिलरुबा आएगी।  
4.       समुद्र बुलाएगा उसे
करवटें बदलेंगी लहरें
जैसे राग कोई सुनाएगा उसे
उधर पर्वत देगा आवाज,
मरूस्थल की रेत और हिमसागर भी याद करेगा आज
वो जहां जहा जाएगी बहार भी साथ साथ जाएगी
 के मेरी महबूबा आएगी
दिलरुबा आएगी।  
             ---  प्रेम