माँ
माँ तो बस माँ है , माँ से ही सारा जहां है। …।
1 ममता का सागर है वो आसमां प्यार का ,
उसकी गोद में खुशियां सारी , सुख संसार का ।
माँ से ही हस्ती तेरी, माँ से ही हस्ती मेरी
माँ नहीं हो हम कहाँ हैं ,,,,.
2 वो ही अल्लाह-अकबर, कृष्ण -करीम राम है ,
चरणों में उसके 68 तीर्थ, चारों धाम हैं ,
चाँद से भी शीतल जो सूरज से भी तेज, गंगा से पवित्र नाम है
हिमालय से भी ऊंची है दुनिया की सबसे मजबूत ढाल वो ,
कुदरत ने बख्शी सारी नेमतें , ईश्वर का कमाल है वो,
उसके बिना सूनी है जिंदगी, उसके बिना सूनी है बंदगी
प्रथम गुरु वो जीवन का मदरसा है ,,,,,,,,,,,,
3 देवता -दानव -मानव, पशु - पक्षी पैदा वही करती है ,
बच्चे ही उसकी धन दौलत बच्चे ही उसकी संपत्ति हैं ,
बच्चों का कष्ट देखा न जाय खुद भूखी मर सकती है ,
गर्भ काल में पीड़ा सहती, जन्म के बख्त मौत के मुहं से गुजरती है,
माँ कि कोई मिसाल नहीं आज नहीं फिर काल नहीं,
मुमकिन नहीं उसका कर्ज चुकाना
लुटा ले चाहे कोई अपना खजाना
राजा - वजीर बादशाह ,,,,,,,
4 चीज कुछ ऐसी है उसके लाड़ - प्यार में ,
बिकती नहीं वो दुनिया के किसी बाजार में,
नहीं मिलती वो पैसे से, नोट लगा दो चाहे धरती से अंबार में ,
उसके बिना जिंदगी में अँधेरा है ,
पैसा तो ढलता दिन है माँ तो बस सवेरा है ,
पैसे से माँ खरीदी न जाये चाहे ख़रीदा सारा जहाँ है ,,,,,,,,,,,…
प्रेम सिंह
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